झारखंड सरकार का बड़ा फैसला, अब मृत सहायक अध्यापकों के परिवार को मिलेगी नौकरी 

now the family of deceased assistant teachers will get job

झारखंड के मृत सहायक अध्यापकों (पारा शिक्षकों) के सेवक को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिलेगी। आश्रित अगर ट्रेंड होंगे तो उनकी अपॉइंटमेंट सीधे सहायक अध्यापक के रूप में की जाएगी। ट्रेंड के साथ अगर टीईटी भी हैं तो उन्हें टेट-प्रशिक्षित के मानदेय का भुगतान किया जाएगा। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने सभी जिलों से नियमावली बनने के बाद से मृत सहायक अध्यापकों के आश्रितों की रिपोर्ट मांगी है।

सहायक अध्यापकों की सेवा शर्त नियम का गठन फरवरी 2022 में हुआ है। इसमें उनका नामकरण भी पारा शिक्षक से सहायक अध्यापक किया गया। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने नियमावली में साफ़ किया है कि कार्यावधि में सहायक अध्यापक की मृत्यु होने की स्थिति में शिक्षक की पदत्याग करना पूरी करने पर मृतक के एक आश्रित को अनुकंपा का लाभ मिलेगा। ऐसे में जिलों को मृत सहायक अध्यापकों के आश्रितों को नौकरी के लिए प्रस्ताव उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

मौजूदा में जिलों से 14 फरवरी 2022 के बाद सेवा के दौरान मृत सहायक अध्यापक के आश्रितों का प्रस्ताव मांगा गया है। उन्हें ही इसका लाभ मिल सकेगा। इस पर एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा ने आपत्ति जतायी है। मोर्चा ने साफ़ कहा है कि सरकार गठन के समय से ही मृत पारा शिक्षकों की आश्रितों को लाभ दिया जाए। जिन अध्यापकों के आश्रित निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें दूसरी सेवा में लगाया जाए।

कोरोना काल में कई पारा शिक्षकों ने गंवाई अपनी जान

सहायक अध्यापकों की सेवा शर्त नियमावली की मंजूरी के बाद करीब 40 सहायक अध्यापकों का निधन सेवा के दौरान हुआ है। उनके सेवक को इसका लाभ मिल सकेगा। वहीं, 2019 के अंत में सरकार के गठन होने के बाद और कोरोना काल में करीब 150 पारा शिक्षकों की जान सेवा व आंदोलन के दौरान गई थी। एकीकृत सहायक शिक्षक परिश्रम मोर्चा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य संजय दुबे ने कहा कि सरकार को 2020 की शुरुआत से ही शिक्षकों के आश्रितों को लाभ देना चाहिए। ऐसे अध्यापकों का क्या दोष है जो कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान और आंदोलन में अपनी जान गंवाए हैं।

 

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