टाटा ग्रुप अब बोतलबंद पीने का पानी बेचने वाले सबसे ब्रांड बिसलेरी इंटरनेशनल में हिस्सेदारी खरीदने का प्लान बना रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टाटा ग्रुप ने भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड वाटर कंपनी बिसलेरी जिसका स्वामित्व रमेश चौहान के पास है, उन्हें बिसलेरी इंटरनेशन में हिस्सेदारी खरीदने के लिए प्रस्ताव रखा है।
मुंबई के ठाणे में पहला ‘बिसलेरी वाटर प्लांट’ स्थापित किया। रॉसी के इस आइडिया की काफी हंसी उड़ाई गई। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय भारत में पानी बेचना पागलपन से कम नहीं था। रॉसी और संतूक ने इसकी परवाह किए बगैर बोतलबंद पानी का उत्पादन शुरू किया। उस दौरान भारत की आर्थिक राजधानी में पीने के पानी की गुणवत्ता बहुत खराब थी। ऐसे में अमीर परिवार और विदेशी पर्यटकों के लिए यह पानी किसी अमृत से कम नहीं था।
कंपनी ने इंडियन मार्केट में मिनरल वाटर और सोडा के साथ एंट्री ली। शुरुआती दिनों में दोनों उत्पाद केवल अमीर लोगों की पहुंच तक सीमित थे और केवल पांच सितारा होटलों और महंगे रेस्तरां में ही उपलब्ध थे। रॉसी और संतूक भी जानते थे कि वह अपने उत्पादों को सीमित दायरे में रखकर सफलता हासिल नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्होंने कंपनी को बेचने का फैसला लिया।
बिसलेरी कंपनी को बेचने की खबर भारतीय व्यापार जगत में जंगल की आग की तरह फैल गई और ‘पारले कंपनी’ के मास्टरमाइंड ‘चौहान ब्रदर्स’ तक पहुंच गई। 1969 में बिसलेरी वाटर प्लांट शुरू होने के करीब 4 साल बाद रमेश चौहान ने बिसलेरी को महज 4 लाख रुपए में खरीद लिया।