झारखंड : भले ही जामताड़ा की पहचान आज साइबर का हब बन चूका है. मगर जामताड़ा की धरती पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर जैसे महान विद्वान के नाम से भी जानी जाती है. विद्यासागर की इस पवित्र धरती को जामताड़ा की एक बेटी तरुणी पांडेय ने अपने प्रतिभा, मेहनत और दम पर जामताड़ा क्षेत्र का मान बढ़ाने का काम किया है. UPSC ने रिजर्व लिस्ट के आधार पर 63 उम्मीदवारों के नाम जारी किये है. इस सूची में जिले के मिहिजाम पालबगान निवासी तरुणी पांडेय ने 14 वां स्थान हासिल किया है. तरुणी के पिता अरुण पांडेय दुमका में पशु चिकित्सक व माता नीता त्रिपाठी मध्य विद्यालय कानगोई में शिक्षिका है. सबसे बड़ी बात यह है कि तरुणी ने केजी से लेकर आजतक की पढ़ाई के लिए कोई ट्यूशन नहीं लिया. उन्होंने सिर्फ सात महीने की कड़ी मेहनत व यू-ट्यूब के निशुल्क क्लासेस से UPSC संबंधित वीडियो को फॉलो कर यह परिणाम हासिल किया है.
वह आज के मध्यमवर्गीय परिवार से आनेवाले युवाओं के लिए प्रेरणादायी हैं. तरुणी ने बताया कि साल 2020 में यूपीएससी पीटी परीक्षा के चार दिन पहले कोरोना संक्रमित होने की वजह से वह एग्जाम नहीं दे सकी. चार महीने तक वह बीमार रही लेकिन वह हार नही मानी और सात महीने में खुद से पढ़ाई कर उन्होंने कामयाबी हासिल की. तरुणी के इस सफलता से पिता अरुण पांडेय, माता नीता त्रिपाठी, बहन तान्या पांडेय व भाई अंकेश पांडेय सहित पूरा परिवार और जानने वाले लोग बेहद खुश और गौरवान्वित है. तरुणी की प्रारंभिक पढ़ाई रेलनगरी चित्तरंजन स्थित संत जोसेफ इंग्लिश कान्वेंट हाई स्कूल से की. यहां एलकेजी से कक्षा 10 तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने जामताड़ा जेबीसी प्लस टू हाई स्कूल से साल 2008 में विज्ञान संकाय से बारहवीं की परीक्षा पास की. फिर मिहिजाम कोड़ापाड़ा स्थित इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी से वर्ष 2019 में स्नातक किया और 2021 में उसने मास्टर्स की डिग्री अग्रेजी लिट्रेचर में हासिल की. तरुणी को चित्रांकन के साथ गायन और कविता लेखन में भी रुची है.
मेडिकल के क्षेत्र में जाना चाहती थी तरुणी कैसे कदम सिविल सेवा की ओर बढ़ गया
शुरू से ही पढ़ाई में मेधावी रही तरुणी मेडिकल के क्षेत्र में जाना चाहती थी लेकिन उनका कदम सिविल सेवा की ओर बढ़ गया. लोग सरकारी पदाधिकारी व कर्मियों को काम न करने के कटाक्ष करते हैं. लेकिन एक सरकारी पदाधिकारी की बेटी होने के चलते तीनों भाई बहन को सरकारी नौकरी की परेशानियों एवं आभार की समझ थी. साथ ही उनका जीजा कीर्ति चक्र से सम्मानित शहीद CRPF कमांडेंट प्रमोद कुमार भी निस्वार्थ भाव से सबकी मदद करते थे. वह जब कश्मीर में शहीद हुए तो दीदी और परिवार को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा. दीदी के साथ जब भी किसी नेता या अधिकारी के पास मदद मांगने के लिए गए तब अच्छे अधिकारीयों के कार्यप्रणाली का असर उनके उपर पड़ा कि इस तरह के अधिकारी बन हम भी किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं. इसी से सीख लेकर यूपीएससी करने का ख्याल आया और तैयारी शुरू की.
कार्यपालिका का हिस्सा बनने के बाद सबसे पहले जामताड़ा से साइबर क्राइम को करेंगे खत्म
वहीं तरुणी कहती है, जामताड़ा का नाम पूरे देश में साइबर क्राइम के लिए बदनाम है. लेकिन जब कोई शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे काम में जिले का नाम आता है तो बेहद खुशी होती है. कार्यपालिका का हिस्सा बनने के बाद सरकारी अधिकारी और इंसान के तौर पर साइबर क्राइम के प्रति लोगों में जागरूकता लाना और भटके हुए लोगों को मुख्यधारा में लाकर साइबर क्राइम के कलंक को धोने के लिए वह पहल करेगी. कैडर के सवाल पर उन्होंने कहा कि आइएएस और आईपीएस दोनों के लिए सम्मान है लेकिन आईएफएस विशेष रूप से पसंद है क्योंकि वह पूर्व आईएफएस व देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर को अपना आदर्श मानती है और उनसे कुछ सीखने की तमन्ना रखती है. लेकिन लोगों के दिलचस्पी में जो भी सर्विस मिलेगी उसे वह करेगी.