स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने अस्पताल संचालकों को चेतावनी दी है कि यदि आयुष्मान से इलाज में कोई अस्पताल इंकार करता है या भ्रष्टाचार हाेता है, तो सीधे उस अस्पताल का निबंधन रद्द होगा। एफआईआर दर्ज होगी। उनसे बातचीत की विशेष संवाददाता बिनाेद ओझा ने। प्रस्तुत है प्रमुख अंश.
रिम्स जीबी ने एक साल पहले अनुबंधकर्मियों काे स्थायी करने का फैसला लिया था, अब तक क्याें नहीं हुआ, कब हाेगा?
थाेड़ी तकनीकी अड़चन है, जिसे दूर करने का कोशिश किया जा रहा है। इसके बाद स्थायी करने का काम होगा। यह फैसला लागू किया जाना है। वैसे भी जाे लाेग सेवा कार्य से जुड़े हैं. उन्हें मानवता के आधार पर भी सुविधाएं मिलनी चाहिए। इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है। राज्य में एक ओर जहां केंद्र सरकार नए मेडिकल कॉलेज देने की बात कर रही है, दूसरी ओर एमजीएम में एमबीबीएस की 100 सीटाें काे घटाकर 50 कर दिया गया।
रिम्स में सीटें बढ़ाकर 250 करनी थी, लेकिन एक भी नहीं बढ़ी?
वहीं प्रदेश के मेडिकल काॅलेजाें में एमबीबीएस की सीटें नहीं घटेंगी। इसके लिए उन्हाेंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बात की है। वे अच्छे व्यक्ति हैं। राजनीति से अलग हटकर उनसे बात हुई है। वे झारखंड काे मदद करने के लिए तैयार हैं। मुझे भरोसा है कि वे झारखण्ड की सहायता अवश्य करेंगे।
चिकित्सकों की वैसे ही झारखंड में कमी है, सीटें घटती रहेंगी और नियुक्ति नहीं होगी, तो कमी कैसे दूर होगी?
डॉक्टरों की कमी पर सरकार की नजर है। जल्द राज्य में 1900 चिकित्सकों की बहाली की जाएगी। इसके लिए आवश्यक कागजी प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
वहीं राज्य में बर्न के इलाज की व्यवस्था सिर्फ रिम्स के 24 बेड पर है, यहां पिछले डेढ़ महीने में 5 गंभीर रूप से झुलसे रोगी पहुंचे, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में बचाया नहीं जा सका
विभाग क्या व्यवस्था कर रहा है?
रिम्स में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सभी 24 जिलों के सदर अस्पतालों मेंं बर्न वार्ड बनवाया जा रहा है। रिम्स में जितने भी आग से झुलसे रोगियों की जान गई, सभी 60 प्रतिशत से ज्यादा झुलसे हुए थे। इसके बावजूद उन्हें बचाने की पूरी प्रयास की गई। व्यवस्था और दुरुस्त की जाएगी, प्रयास होगा कि डॉक्टरों की ओर से कोई कमी न रहे।
आरसीएच में भी वर्षों से अनुबंधकर्मी काम कर रहे हैं। आपने उन्हें भी स्थायी करने के लिए पीत पत्र लिखा है, कब तक हाेगा?
आरसीएच के लिए भी प्रयास जारी है। वहां आवश्यकता के अनुसार पदों का आकलन कराया जाएगा। वहां किस तरह की तकनीकी अड़चन आएगी, इसे भी देखा जा रहा है। सारी बाधाएं दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।