मृत पिता को देख परिवार बोले, “पहले मतदान” फिर अंतिम संस्कार

Seeing the dead father, the family said, "vote first"

पांवटा साहिब : हिमाचल में मतदान को लेकर अलग-अलग तस्वीरें देखने को मिल रही हैं. जो लोकतंत्र के इस पर्व की मजबूती की गवाह हैं. ऐसी ही एक तस्वीर सिरमौर जिले के पांवटा साहिब से आई है. जहां एक परिवार ने पिता के अंतिम संस्कार से पहले मतदान किया. ये तस्वीरें बताती हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र क्यों कहती हैं. इस परिवार ने पहले लोकतंत्र के महापर्व में आहुति दी और फिर पिता का अंतिम संस्कार किया.

बेटा-बहू और बेटी ने भी डाला वोट:

वहीं मिली जानकारी के अनुसार जिला सिरमौर के पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र की गोजर पंचायत के डोडली बूथ पर एक ऐसा परिवार भी वोट डालने पहुंचा था जिसके घर पर बीती रात मौत हुई थी. गोजर पंचायत के रणबीर सिंह ने बताया कि शुक्रवार रात बीमारी के कारण कश्मीरी लाल की मौत हो गई. वह डोडली गांव के रहने वाले थे, कश्मीरी लाल की मौत के बाद अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही थी, लेकिन बेटे ने मतदान को अहम समझा और फिर पिता की अर्थी को कंधा दिया. कश्मीरी लाल के बेटे के अलावा बहू और बेटी ने भी मतदान किया है.

वोट डालने के बाद अंतिम संस्कार की रस्म:

वहीं मतदान के बाद परिवार ने घर पहुंचकर कश्मीरी लाल के अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की. इस तरह परिवार ने मतदान को सर्वोच्च कार्य का दर्जा देकर एक मिसाल पेश की है. पहले मतदान, फिर जलपान कहने वाले तो कई मिलेंगे लेकिन इस परिवार ने जो उदाहरण पेश किया है वही लोकतंत्र की मजबूती का आधार है. वहीं बता दें कि बीते 5 नवंबर को देश के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का 105 साल की उम्र में निधन हो गया था. मगर इससे पहले 2 नवंबर को ही वो अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके थे. श्याम सरन नेगी ने घर से ही मतदान किया और एक बार फिर देश के युवाओं को वोटिंग के प्रति जागरुक किया था. आजादी के बाद श्याम सरन नेगी ने हर चुनाव में वोट करते हुए कुल 34 बार मतदान किया और आखिरी सांस लेने से पहले अपना आखिरी वोट भी डाल गए. ऐसी मिसालें ही देश के लोकतंत्र को मजबूत करती हैं.

 

 

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